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बार‑बार रुकावट क्यों आती है जीवन में?

जीवन में सबसे ज्यादा थका देने वाली स्थिति वह होती है जब हर काम शुरू तो हो जाता है, उम्मीद भी जागती है, लेकिन अंतिम समय पर कोई न कोई रुकावट आकर सब बिगाड़ देती है।
25 December 2025 by
बार‑बार रुकावट क्यों आती है जीवन में?
Skill Astro


राहु के कारण भ्रम

ज्योतिषीय कारण, गहन विश्लेषण और तत्काल उपाय

जीवन में सबसे ज्यादा थका देने वाली स्थिति वह होती है जब हर काम शुरू तो हो जाता है, उम्मीद भी जागती है, लेकिन अंतिम समय पर कोई न कोई रुकावट आकर सब बिगाड़ देती है। नौकरी की joining रुक जाना, business deal sign से ठीक पहले टूट जाना, शादी की बात पक्की होकर अचानक cancel हो जाना, पैसे आकर किसी अचानक खर्च में निकल जाना – ये सब बार‑बार होने लगे तो इसे केवल “किस्मत खराब” कहकर छोड़ देना सही नहीं है। वैदिक ज्योतिष में इसे स्पष्ट रूप से बाधा योग, अष्टम‑द्वादश दोष और राहु‑शनि अवरोध से जोड़ा जाता है, जहाँ खास तौर पर कुंडली का अष्टम भावकुंडली का द्वादश भावषष्ठ भाव (शत्रु व बाधा) और शनि‑मंगल‑राहु‑केतु की स्थिति सबसे अधिक जिम्मेदार मानी जाती है।

ज्योतिषीय विज्ञान: रुकावटें बार‑बार क्यों दोहराती हैं?

वैदिक ज्योतिष कहता है कि जीवन के events तीन स्तर पर decide होते हैं –

संभावना (योग) + समय (दशा‑गोचर) + बाधा/सपोर्ट (अन्य ग्रह)

कभी योग और समय ठीक होते हैं, लेकिन बाधा देने वाले factors stronger हो जाते हैं, इसलिए काम शुरू होकर भी पूरा नहीं होता। यहां पर विशेष ध्यान इन बिंदुओं पर जाता है:

  • अष्टम भाव (8th house) – अचानक रुकावट, दुर्घटना, delay, secret problems।

  • द्वादश भाव (12th house) – नुकसान, cancellation, last‑moment drop, hidden losses।

  • षष्ठ भाव (6th house) – शत्रु, competition, legal/official बाधा।

  • दसवां और एकादश भाव – काम/करियर और परिणाम; इन पर पड़ने वाली कड़ी दृष्टि से भी काम अटकते हैं।

जब इन भावों से जुड़े ग्रह – खासकर शनिमंगलराहु और केतु – गलत जगह या गलत दशा में active हो जाते हैं, तो छोटे‑छोटे काम भी बेवजह big hurdles बन जाते हैं।

12 प्रमुख ज्योतिषीय कारण – जिनसे हर काम में बाधा आती है


1. अष्टम भाव का अधिक सक्रिय होना (अचानक रुकावट)
वैदिक विश्लेषण:
  • कुंडली का अष्टम भाव में शनि, मंगल, राहु या केतु का होना,

  • या अष्टमेश की महादशा/अंतर्दशा चलना – ये सब sudden obstacles बढ़ाते हैं।

लक्षण:

  • काम almost हो चुका होता है, पर अचानक कोई document, rule, health issue या family situation बीच में आकर सब रोक देती है।

  • लगी हुई job offer अटक जाना, यात्रा last moment cancel होना, surgery/postponement आदि।

2. द्वादश भाव और व्ययेश दोष (अंतिम समय की हानि)

वैदिक विश्लेषण:

  • कुंडली का बारहवां भाव अधिक मजबूत होकर अशुभ ग्रहों से जुड़ जाए या व्ययेश की दशा में बड़े काम शुरू हों,

    तो बार‑बार “last moment loss” देखने को मिल सकता है।

लक्षण:

  • deal final होने से पहले ही पैसा कहीं और खर्च हो जाना,

  • visa/interview clear होकर भी final approval न मिलना,

  • शादी fix होकर अचानक किसी कारण टूट जाना।

3. शनि‑मंगल संघर्ष (delay + conflict)

वैदिक विश्लेषण:

  • शनि और मंगल की युति/दृष्टि, खासकर 6th, 8th, 10th भाव पर – काम में ज़रूरत से ज्यादा delay, friction और मेहनत दिखाती है।

  • शनि delay और rules लाता है, मंगल जल्दी result चाहता है, दोनों की टक्कर से बार‑बार रुकावट बनती है।

लक्षण:

  • फाइलें authority के पास बार‑बार रोक दी जाती हैं,

  • दूसरों से छोटी‑छोटी बातों पर झगड़ा/गलतफहमी हो जाती है,

  • patience टूटने से आदमी खुद काम अधूरा छोड़ देता है।

यहां तुम अपने 6th house10th house और मंगल ग्रह वाले articles पर interlink कर सकते हो, ताकि reader root level समझ पाए कि किस तरह शत्रु/ऑफिस politics भी ज्योतिषीय रूप से connected हैं।

4. राहु‑केतु अक्ष – confusion, गलत timing और गलत decisions

वैदिक विश्लेषण:

  • राहु अगर 3, 6, 10, 11 जैसे उपचय भावों में हो और उसकी दशा चल रही हो,

  • या केतु अष्टम/द्वादश को disturb कर रहा हो,

तो इंसान कई बार खुद ही ऐसी decisions लेता है जो बाद में रुकावट की वजह बनते हैं – यानी अड़चन बाहर से कम, भीतर के confusion से ज्यादा होती है।

लक्षण:

  • बिना सोचे step उठा लेना और बाद में पछताना,

  • गलत लोगों पर भरोसा, गलत advisor चुनना,

  • बहुत सारे काम एक साथ शुरू कर देना, कोई भी सही से पूरा न होना।

5. छठा भाव और शत्रु‑बाधा योग

वैदिक विश्लेषण:

  • षष्ठ भाव में शनि/मंगल/राहु की असंतुलित स्थिति,

  • या 6th lord की कठोर दशा – competitors, legal matter, health या office politics से रुकावटें बढ़ा देती है।

लक्षण:

  • काम तैयार, पर किसी न किसी की शिकायत, jealous colleague, paperwork या legal rule बीच में आकर process रोक देते हैं।

  • बार‑बार छोटी health issues भी important दिनों में उदय हो जाती हैं।

कुंडली बाधा दोष – सारणी में संक्षेप

दोष प्रकारसंबंधित भाव/क्षेत्रमुख्य ग्रहसामान्य लक्षणसुझाए गए उपाय का दिशा‑निर्देश
अचानक रुकावटअष्टम भाव, अष्टमेशशनि, मंगल, राहु, केतुfinal step से पहले काम टूटनाअष्टम भाव शांति, महामृत्युंजय जप
अंतिम समय की हानिद्वादश भाव, व्ययेशशनि, राहुपैसा/मौका last moment निकल जानादान, 12th house remedies, शिव उपासना
delay + conflict6th, 8th, 10th पर शनि‑मंगलशनि, मंगलफाइल अटकना, झगड़े, extra delayशनि‑मंगल शांति, हनुमान पूजा
दिशा भ्रमराहु‑केतु axis 1‑7, 4‑10, 6‑12राहु, केतुगलत निर्णय, गलत लोगों पर भरोसाराहु‑केतु मंत्र, गोमेद/लहसुनिया (सलाह से)
शत्रु/कम्पटीशन6th house, 6th lord badhakasthानशनि, मंगल, राहुदूसरों द्वारा बार‑बार बाधादुर्गा/हनुमान साधना, न्यायपूर्ण मार्ग

(यहां तुम अलग‑अलग row से अपने भाव‑based detailed articles पर backlinks दे सकते हो – जैसे अष्टम भाव, द्वादश भाव, 6th भाव वाले blogs पर।)

45‑दिवसीय “बाधा निवारण” साधना – immediate action plan

नीचे की routine को उसी तरह रख सकते हो जैसे “सही समय पर काम नहीं बनता” और “लाइफ़ स्टक” वाले articles में रखा था – बस यहाँ focus है रुकावट हटाने पर।

1. शनि‑हनुमान साधना (लंबे delay और रुकावट के लिए)

शनिवार सुबह 6–8 बजे के बीच:

  1. लोहे के दीपक या मिट्टी के दीपक में सरसों तेल + काले तिल डालकर जलाएं।

  2. कम से कम 108 बार “ॐ शं शनैश्चराय नमः” जप करें।

  3. इसके बाद एक बार श्रद्धा से हनुमान चालीसा पढ़ें।

  4. किसी गरीब/मजदूर को काले तिल, कंबल या सरसों तेल दान करें।

लगातार 7 शनिवार करने से शनि‑सम्बंधित delay, सरकारी/office‑type अड़चनें, paperwork issues noticeably कम होने लगते हैं।

2. राहु‑केतु शांति (गलत decisions और confusion कम करने के लिए)

मंगलवार या शनिवार रात 9–10 बजे:

  1. साफ काले कपड़े पर आसन लगाकर बैठें।

  2. 108 बार “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” जप करें।

  3. इसके बाद 108 बार “ॐ केतवे नमः”।

  4. जप के बाद थोड़े काले तिल और सरसों को बहते पानी में प्रवाहित करें।

यह साधना उन लोगों के लिए खास उपयोगी है जिनके साथ हर बार “गलत समय, गलत सलाह, गलत पार्टनर” वाला pattern repeat होता है।

3. शिव‑महामृत्युंजय जप (अष्टम/द्वादश दोष और अचानक रुकावट के लिए)

रोज़ या कम से कम सोमवार/प्रदोष को:

  • 108 बार “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्…”

  • या time कम हो तो 21 या 27 बार से शुरू करें।

यह सीधे‑सीधे अष्टम और द्वादश भाव के अशुभ फल को soften करता है – दुर्घटना, अचानक बीमारी, sudden loss जैसी energies पर protective shield बनाता है।

4. दैनिक छोटा‑सा routine (सुबह 6–7 AM – 30 दिनों के लिए)
  1. सूर्य अर्घ्य – “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” (21 बार) – inner strength और सही निर्णय की शक्ति के लिए।

  2. गणपति मंत्र – “ॐ गं गणपतये नमः” – 108 बार – हर शुभ काम से पहले प्रथम बाधा नाशक।

  3. शनि या गुरु का छोटा जप (जो भी कुंडली में कमजोर हो) – ताकि भीतर support system बने और बाहरी रुकावटों का असर कम हो।

FAQ – बार‑बार रुकावट पर सबसे आम सवाल

प्रश्न 1: हर बार शादी की बात almost fix होकर टूट जाती है, कारण?

  • अक्सर 7th, 8th और 12th भाव में शनि‑राहु‑केतु जैसी positions, या शुक्र/गुरु की कमजोर दशा।

  • remedy combo: शुक्रवार को दान + शुक्र मंत्र + गुरु की regular पूजा; साथ में गणपति और शिव का सहारा।

प्रश्न 2: job/interview clear हो जाता है, पर joining letter रुक जाता है?

  • 10th, 6th और 12th भाव के बीच stress, शनि/राहु की बाधक दृष्टि; paperwork या policy reason से delay।

  • remedy: शनि‑हनुमान साधना + रविवार/सोमवार को सूर्य/शिव की पूजा।

प्रश्न 3: business में deal final होते‑होते cancel हो जाती है?

  • 11th (लाभ), 7th (partnership) और 8th/12th (loss) के बीच imbalance; राहु, शनि या मंगल की hard aspect।

  • remedy: राहु‑केतु मंत्र + शुक्रवार को ओम श्रीं महालक्ष्म्यै नमः जप + साफ और transparent dealing।

प्रश्न 4: कब generic उपाय छोड़कर detailed कुंडली analysis कराना चाहिए?

  • जब 2–3 साल से pattern same हो – हर काम में last moment hurdle,

  • या बड़े events (शादी, business expansion, foreign settlement) बार‑बार fail हो रहे हों – तब महादशा‑अंतर्दशा और specific भाव/ग्रह देखना जरूरी है।

निष्कर्ष और बाधा‑मुक्त जीवन की दिशा

बार‑बार आने वाली रुकावटें सिर्फ़ outer world की problem नहीं, कई बार ये अष्टम‑द्वादश दोष, शनि‑मंगल संघर्ष और राहु‑केतु की subtle blocking energy का नतीजा होती हैं। अच्छी बात यह है कि

  • सही understanding,

  • consistent मंत्र‑साधना,

  • थोड़ा‑सा दान और थोड़ा‑सा practical सावधानी

मिलकर इन बाधाओं की intensity को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

अगर आपकी लाइफ़ में भी pattern कुछ ऐसा है कि “काम हर बार शुरू हो जाता है, पर मंज़िल से पहले रुक जाता है”, तो इसे normal मत मानिए। ऊपर दिए गए 30–45 दिन के plan को sincerely follow कीजिए, और ज़रूरत पड़े तो अपनी birth‑chart के according detail analysis करा कर यह स्पष्ट कीजिए कि कौन‑सा ग्रह, कौन‑सा भाव बार‑बार आपकी राह में दीवार खड़ी कर रहा है – ताकि उसके लिए सीधे लक्षित उपाय किए जा सकें और एक‑एक करके जीवन की ये रुकावटें हटने लगें।

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