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कुंडली का आठवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी

कुंडली का आठवां भाव (Eighth House) व्यक्ति के आयु, मृत्यु, गूढ़ विज्ञान, विरासत, रहस्य और परिवर्तन का मूल आधार है।
23 December 2025 by
कुंडली का आठवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
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कुंडली का आठवां भाव

प्रस्तावना

कुंडली का आठवां भाव (Eighth House) व्यक्ति के आयु, मृत्यु, गूढ़ विज्ञान, विरासत, रहस्य और परिवर्तन का मूल आधार है। यह भाव जन्म के समय पूर्वी क्षितिज से आठवीं राशि पर स्थित होता है और इसे मृत्यु भाव, आयु भाव या रंध्र भाव के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में आठवां भाव दीर्घायु, गुप्त विद्याओं, अचानक धन लाभ, जीवनसाथी के धन और आकस्मिक परिवर्तनों का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यही वह भाव है जो व्यक्ति की मृत्यु काल, आयु भविष्य, ज्योतिष-तंत्र-मंत्र ज्ञान, विरासत योग और जीवन के गहन रहस्यों को निर्धारित करता है। आठवां भाव व्यक्ति के गुप्तांग, मलाशय, बवासीर और जीवनसाथी के धन को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस अत्यंत विस्तृत और गहन लेख में हम आठवें भाव के हर पहलू, सभी 9 ग्रहों के प्रभाव, शुभ-अशुभ योगों, उपायों और सम्पूर्ण फलादेश पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

आठवां भाव का परिचय

कुंडली में आठवां भाव को मृत्यु भाव, आयु भाव, रंध्र भाव या गूढ़ भाव के नाम से जाना जाता है। यह वह आठवां महत्वपूर्ण भाव है जो व्यक्ति के दीर्घायु निर्धारण, मृत्यु प्रकार, ज्योतिष-तंत्र ज्ञान, विरासत लाभ, जीवनसाथी का धन, गुप्त रोग और आकस्मिक परिवर्तनों को पूर्ण रूप से प्रतिबिंबित करता है। आठवां भाव कुंडली का गूढ़ ज्ञान और आयु का आधारभूत बिंदु है क्योंकि यह जीवन के रहस्य, मृत्यु भविष्यवाणी, ओकल्ट साइंस और अप्रत्याशित धन को नियंत्रित करता है। यह भाव व्यक्ति के गुप्तांग, मलाशय, बवासीर, गुप्त रोग और जीवनसाथी के धन को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार आठवां भाव जीवन के 49 से 56 वर्ष की वृद्धावस्था को भी दर्शाता है।

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के 12 भावों में आठवां भाव आयु और गूढ़ विद्याओं का सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भाव न केवल दीर्घायु और मृत्यु काल बताता है बल्कि ज्योतिष, तंत्र, मंत्र, जादू-टोना, विरासत और जीवनसाथी धन को भी प्रकट करता है। आठवां भाव का स्वामी ग्रह जिसे अयुकारक कहा जाता है वह व्यक्ति की आयु, गूढ़ ज्ञान और विरासत को निर्धारित करता है। मजबूत आठवां भाव और शक्तिशाली अयुकारक व्यक्ति को दीर्घायु, गूढ़ विद्या में निपुणता और विरासत लाभ प्रदान करते हैं।

ज्योतिष में आठवें भाव का महत्व

दीर्घायु और गूढ़ ज्ञान का मूल आधार

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में आठवां भाव को दीर्घायु निर्धारण, गूढ़ ज्ञान और रहस्यमय परिवर्तनों का मूल आधार माना गया है। यह भाव व्यक्ति के जीवन के गहन रहस्यों से लेकर मृत्यु काल तक सभी कुछ दर्शाता है। आठवां भाव के कारण ही जातक को दीर्घायु, ज्योतिष-तंत्र में निपुणता, विरासत लाभ, जीवनसाथी धन और आध्यात्मिक परिवर्तन प्राप्त होते हैं। यह भाव वृद्धावस्था के रहस्यमय अनुभव, मृत्यु भविष्यवाणी और ओकल्ट साइंस को भी नियंत्रित करता है। आठवां भाव की मजबूती ही व्यक्ति को अल्पायु या दुर्घटना से बचाती है।

किसी भी कुंडली के आयु और गूढ़ विद्या विश्लेषण में आठवां भाव का अध्ययन प्रथम स्थान पर होता है। मजबूत और शुभ ग्रहों से युक्त आठवां भाव वाले व्यक्ति का जीवन दीर्घायु, रहस्यमय ज्ञान प्राप्त और विरासत सुखी होता है। ऐसे व्यक्ति ज्योतिष, तंत्र, जादू-टोना में निपुण होते हैं। इसके विपरीत पीड़ित आठवां भाव अल्पायु, दुर्घटना योग, गुप्त रोग और विरासत हानि का कारण बनता है। अयुकारक की स्थिति ही व्यक्ति की आयु का दर्पण है।

आठवें भाव की मूल जानकारी

विवरणजानकारी
वैदिक नाममृत्यु भाव / आयु भाव / रंध्र भाव
प्राकृतिक स्वामी ग्रहमंगल ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव
प्राकृतिक राशिवृश्चिक राशि के व्यक्ति का गुण स्वभाव और personality
नियंत्रित शरीर भागगुप्तांग, मलाशय, बवासीर, गुप्त रोग
प्रतिनिधित्वआयु, मृत्यु, गूढ़ विद्या, विरासत
जीवन का पहलूवृद्धावस्था (49-56 वर्ष)

आठवें भाव में ग्रहों का प्रभाव

आठवें भाव में सूर्य ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में सूर्य ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

सूर्य आठवें भाव में प्रतिष्ठा परिवर्तन देता है। गूढ़ विद्या में रुचि।

सकारात्मक प्रभाव:

  • ज्योतिष ज्ञान

  • विरासत लाभ

नकारात्मक प्रभाव:

  • हृदय रोग

आठवें भाव में चंद्रमा ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

चंद्रमा आठवें भाव में मानसिक रहस्य देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • अंतर्ज्ञान शक्ति

नकारात्मक प्रभाव:

  • मानसिक विक्षोभ

आठवें भाव में मंगल ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में मंगल ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

मंगल आठवें भाव में दीर्घायु कारक है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • अपार आयु भंडार

  • तंत्र सिद्धि

नकारात्मक प्रभाव:

  • दुर्घटना योग

आठवें भाव में बुध ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में बुध ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बुध आठवें भाव में ज्योतिष निपुणता देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • गणितीय ज्योतिष ज्ञान

नकारात्मक प्रभाव:

  • तंत्रिका रोग

आठवें भाव में बृहस्पति ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में गुरु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बृहस्पति आठवें भाव में आध्यात्मिक दीर्घायु देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • तंत्र-मंत्र सिद्धि

  • विरासत लाभ

नकारात्मक प्रभाव:

  • लीवर रोग

आठवें भाव में शुक्र ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में शुक्र ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शुक्र आठवें भाव में जीवनसाथी धन देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • पत्नी धन लाभ

नकारात्मक प्रभाव:

  • गुप्त रोग

आठवें भाव में शनि ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में शनि ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शनि आठवें भाव में दीर्घायु देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • लंबी आयु

नकारात्मक प्रभाव:

  • पुरानी रोग

आठवें भाव में राहु ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में राहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

राहु आठवें भाव में अचानक धन देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • लॉटरी/विरासत लाभ

नकारात्मक प्रभाव:

  • अप्रत्याशित मृत्यु

आठवें भाव में केतु ग्रह

आपकी कुंडली के आठवें भाव में केतु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

केतु आठवें भाव में मोक्ष कारक है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • आध्यात्मिक मुक्ति

नकारात्मक प्रभाव:

  • अल्पायु योग

महत्वपूर्ण फलादेश

मजबूत आठवां भाव: दीर्घायु, गूढ़ विद्या निपुण

कमजोर आठवां भाव: अल्पायु, दुर्घटना योग

अंकज्योतिष में आठवां भाव

अंकज्योतिष में संख्या 8 आठवें भाव से संबंधित है। रहस्य और परिवर्तन का प्रतीक।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: आठवें भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है?

आठवें भाव का प्राकृतिक स्वामी मंगल है (वृश्चिक राशि)।

प्रश्न 2: आठवें भाव में कौन से ग्रह शुभ माने जाते हैं?

मंगल, बृहस्पति और शनि आठवें भाव में शुभ फल देते हैं।

प्रश्न 3: कमजोर आयु भाव को कैसे मजबूत करें?

मंगल मंत्र जप, मंगलवार व्रत और लाल चंदन धारण करें।

प्रश्न 4: आठवां भाव कौन से शरीर के भाग नियंत्रित करता है?

गुप्तांग, मलाशय और बवासीर।

प्रश्न 5: अयुकारक की महत्वता क्या है?

अयुकारक दीर्घायु और गूढ़ ज्ञान का कारक है।

प्रश्न 6: आठवां भाव कब देखा जाता है?

आयु और गूढ़ विद्या विश्लेषण में आठवां भाव प्रथम देखा जाता है।

प्रश्न 7: क्या आठवें भाव से मृत्यु काल पता चलता है?

हां, आठवें भाव के ग्रह आयु और मृत्यु प्रकार बताते हैं।

प्रश्न 8: आठवां भाव का समय काल क्या है?

आठवां भाव वृद्धावस्था (49-56 वर्ष) को दर्शाता है।

निष्कर्ष

कुंडली का आठवां भाव वैदिक ज्योतिष में दीर्घायु और गूढ़ ज्ञान का मूल आधार है। मजबूत आठवां भाव दीर्घायु और रहस्यमय सफलता का संकेतक है। अयुकारक का विश्लेषण आयु योगों के लिए आवश्यक है।

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Skill Astro 23 December 2025
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