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कुंडली का दसवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी

कुंडली का दसवां भाव (Tenth House) व्यक्ति के कर्म, करियर, व्यवसाय, सामाजिक प्रतिष्ठा और पिता के प्रभाव का मूल आधार है।
23 December 2025 by
कुंडली का दसवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
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कुंडली का दसवां भाव

प्रस्तावना

कुंडली का दसवां भाव (Tenth House) व्यक्ति के कर्म, करियर, व्यवसाय, सामाजिक प्रतिष्ठा और पिता के प्रभाव का मूल आधार है। यह भाव जन्म के समय पूर्वी क्षितिज से दसवीं राशि पर स्थित होता है और इसे कर्म भाव, राज भाव या पिता भाव के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में दसवां भाव कार्यक्षेत्र में सफलता, सामाजिक मान-सम्मान, सरकारी पद, व्यवसायिक उन्नति और पिता के मार्गदर्शन का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यही वह भाव है जो व्यक्ति के करियर चयन, पदोन्नति योग, सामाजिक यश, व्यवसाय लाभ और पिता के प्रभाव को निर्धारित करता है। दसवां भाव व्यक्ति के घुटने, जोड़ और पिता के स्वास्थ्य को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस अत्यंत विस्तृत और गहन लेख में हम दसवें भाव के हर पहलू, सभी 9 ग्रहों के प्रभाव, शुभ-अशुभ योगों, उपायों और सम्पूर्ण फलादेश पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

दसवां भाव का परिचय

कुंडली में दसवां भाव को कर्म भाव, राज भाव, पिता भाव या व्यवसाय भाव के नाम से जाना जाता है। यह वह दसवां महत्वपूर्ण भाव है जो व्यक्ति के करियर चयन, पदोन्नति योग, सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यवसाय सफलता, सरकारी मान-सम्मान और पिता के प्रभाव को पूर्ण रूप से प्रतिबिंबित करता है। दसवां भाव कुंडली का कर्म और यश का आधारभूत बिंदु है क्योंकि यह कार्यक्षेत्र की सफलता, व्यवसायिक लाभ, सामाजिक मान्यता और पिता के मार्गदर्शन को नियंत्रित करता है। यह भाव व्यक्ति के घुटने, जोड़, मांसपेशियां और पिता के स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार दसवां भाव जीवन के 63 से 70 वर्ष की वृद्ध परिपक्वता को भी दर्शाता है।

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के 12 भावों में दसवां भाव कर्म, यश और करियर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह केंद्र भाव होने के कारण विशेष रूप से प्रभावशाली है। यह भाव न केवल व्यक्ति का करियर ग्राफ और सामाजिक यश बताता है बल्कि व्यवसाय सफलता, सरकारी पद, पिता प्रभाव और सामाजिक मान-सम्मान को भी प्रकट करता है। दसवां भाव का स्वामी ग्रह जिसे कर्मेश कहा जाता है वह व्यक्ति के करियर भाग्य, व्यवसाय सफलता और सामाजिक यश को निर्धारित करता है। मजबूत दसवां भाव और शक्तिशाली कर्मेश व्यक्ति को उच्च पद, यशस्वी करियर, व्यवसायिक उन्नति और सामाजिक सम्मान प्रदान करते हैं।

ज्योतिष में दसवें भाव का महत्व

कर्म सफलता और सामाजिक यश का मूल आधार

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में दसवां भाव को कर्म सफलता, सामाजिक यश और व्यवसाय उन्नति का मूल आधार माना गया है। यह भाव व्यक्ति के कार्यक्षेत्र प्रदर्शन से लेकर सामाजिक प्रतिष्ठा तक सभी कुछ दर्शाता है। दसवां भाव के कारण ही जातक को उच्च पद, सरकारी मान-सम्मान, व्यवसायिक लाभ, पिता का सहयोग और सामाजिक यश प्राप्त होता है। यह भाव वृद्ध परिपक्वता के करियर शिखर, सामाजिक मान्यता और पिता के प्रभाव को भी नियंत्रित करता है। दसवां भाव की मजबूती ही व्यक्ति को करियर में शीर्ष स्थान दिलाती है।

किसी भी कुंडली के करियर विश्लेषण में दसवां भाव का अध्ययन प्रथम स्थान पर होता है। मजबूत और शुभ ग्रहों से युक्त दसवां भाव वाले व्यक्ति का जीवन यशस्वी, उच्च पद प्राप्त और व्यवसाय समृद्ध होता है। ऐसे व्यक्ति का करियर चमकदार, सामाजिक सम्मान अपार और व्यवसाय लाभकारी होता है। इसके विपरीत पीड़ित दसवां भाव करियर अवरोध, सामाजिक अपयश और व्यवसाय हानि का कारण बनता है। कर्मेश की स्थिति ही व्यक्ति के करियर भाग्य का दर्पण है।

दसवें भाव की मूल जानकारी

विवरणजानकारी
वैदिक नामकर्म भाव / राज भाव / व्यवसाय भाव
प्राकृतिक स्वामी ग्रहशनि ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव
प्राकृतिक राशिमकर राशि के व्यक्ति का गुण स्वभाव और personality
नियंत्रित शरीर भागघुटने, जोड़, मांसपेशियां
प्रतिनिधित्वकरियर, यश, व्यवसाय, पिता प्रभाव
जीवन का पहलूवृद्ध परिपक्वता (63-70 वर्ष)

दसवें भाव में ग्रहों का प्रभाव

दसवें भाव में सूर्य ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में सूर्य ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

सूर्य दसवें भाव में सरकारी उच्च पद देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • प्रशासनिक शीर्ष पद

  • अपार सामाजिक यश

नकारात्मक प्रभाव:

  • अहंकार बाधा

दसवें भाव में चंद्रमा ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

चंद्रमा दसवें भाव में लोकप्रिय करियर देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • जनसंपर्क व्यवसाय सफलता

  • जनता का प्रिय

नकारात्मक प्रभाव:

  • करियर चंचलता

दसवें भाव में मंगल ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में मंगल ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

मंगल दसवें भाव में तकनीकी/सैन्य सफलता देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • इंजीनियरिंग शीर्ष पद

  • प्रबंधकीय साहस

नकारात्मक प्रभाव:

  • विवादास्पद यश

दसवें भाव में बुध ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में बुध ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बुध दसवें भाव में वाणिज्यिक सफलता देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • व्यापार, पत्रकारिता शिखर

  • संवाद व्यवसाय

नकारात्मक प्रभाव:

  • निर्णय चंचलता

दसवें भाव में बृहस्पति ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में गुरु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बृहस्पति दसवें भाव में न्यायाधीश पद देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • शिक्षण, कानून शीर्ष

  • सामाजिक गुरु मान्यता

नकारात्मक प्रभाव:

  • अत्यधिक विस्तार

दसवें भाव में शुक्र ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में शुक्र ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शुक्र दसवें भाव में कला/सौंदर्य व्यवसाय देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • सिनेमा, फैशन शिखर

  • सामाजिक आकर्षण

नकारात्मक प्रभाव:

  • आलस्य बाधा

दसवें भाव में शनि ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में शनि ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शनि दसवें भाव में दीर्घकालिक शीर्ष देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • प्रबंधन, उद्योग साम्राज्य

  • कठोर परिश्रम यश

नकारात्मक प्रभाव:

  • प्रारंभिक विलंब

दसवें भाव में राहु ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में राहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

राहु दसवें भाव में विदेशी/असामान्य करियर देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • आयात-निर्यात शिखर

  • अप्रत्याशित यश

नकारात्मक प्रभाव:

  • विवादास्पद प्रसिद्धि

दसवें भाव में केतु ग्रह

आपकी कुंडली के दसवें भाव में केतु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

केतु दसवें भाव में आध्यात्मिक करियर देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • ज्योतिष/योग शिक्षण

नकारात्मक प्रभाव:

  • सांसारिक यश त्याग

महत्वपूर्ण फलादेश

मजबूत दसवां भाव: उच्च पद, अपार यश, व्यवसाय शिखर

कमजोर दसवां भाव: करियर अवरोध, सामाजिक अपयश

अंकज्योतिष में दसवां भाव

अंकज्योतिष में संख्या 10 (1+0=1) दसवें भाव से संबंधित है। नेतृत्व और यश का प्रतीक।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: दसवें भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है?

दसवें भाव का प्राकृतिक स्वामी शनि है (मकर राशि)।

प्रश्न 2: दसवें भाव में कौन से ग्रह शुभ माने जाते हैं?

सूर्य, शनि, बृहस्पति और मंगल दसवें भाव में शुभ फल देते हैं।

प्रश्न 3: कमजोर कर्म भाव को कैसे मजबूत करें?

शनि मंत्र जप, शनिवार व्रत और नीलम धारण करें।

प्रश्न 4: दसवां भाव कौन से शरीर के भाग नियंत्रित करता है?

घुटने, जोड़ और मांसपेशियां।

प्रश्न 5: कर्मेश की महत्वता क्या है?

कर्मेश करियर भाग्य और सामाजिक यश का कारक है।

प्रश्न 6: दसवां भाव कब देखा जाता है?

करियर विश्लेषण में दसवां भाव प्रथम देखा जाता है।

प्रश्न 7: क्या दसवें भाव से व्यवसाय प्रकार पता चलता है?

हां, दसवें भाव के ग्रह व्यवसाय प्रकार बताते हैं।

प्रश्न 8: दसवां भाव का समय काल क्या है?

दसवां भाव वृद्ध परिपक्वता (63-70 वर्ष) को दर्शाता है।

निष्कर्ष

कुंडली का दसवां भाव वैदिक ज्योतिष में कर्म सफलता और सामाजिक यश का मूल आधार है। मजबूत दसवां भाव उच्च पद और अपार प्रतिष्ठा का संकेतक है। कर्मेश का विश्लेषण करियर योगों के लिए आवश्यक है।

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कुंडली का दसवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
Skill Astro 23 December 2025
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