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कुंडली का छठा भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी

कुंडली का छठा भाव (Sixth House) व्यक्ति के स्वास्थ्य, शत्रु, रोग, कर्ज और सेवा कार्यों का मूल आधार है।
23 December 2025 by
कुंडली का छठा भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
Skill Astro

 (Sixth House)

प्रस्तावना

कुंडली का छठा भाव (Sixth House) व्यक्ति के स्वास्थ्य, शत्रु, रोग, कर्ज और सेवा कार्यों का मूल आधार है। यह भाव जन्म के समय पूर्वी क्षितिज से छठी राशि पर स्थित होता है और इसे रोग भाव, शत्रु भाव या सेवा भाव के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में छठा भाव शत्रु नाश, रोग प्रतिरोधक क्षमता, कर्ज मुक्ति और सेवा क्षेत्र में सफलता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यही वह भाव है जो व्यक्ति के शत्रुओं पर विजय, स्वास्थ्य रक्षा, ऋण मुक्ति और दैनिक सेवा कार्यों को निर्धारित करता है। छठा भाव व्यक्ति के पेट, आंतें, छोटी आंत, पाचन तंत्र और नौकरों को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस अत्यंत विस्तृत और गहन लेख में हम छठे भाव के हर पहलू, सभी 9 ग्रहों के प्रभाव, शुभ-अशुभ योगों, उपायों और सम्पूर्ण फलादेश पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

छठा भाव का परिचय

कुंडली में छठा भाव को रोग भाव, शत्रु भाव, कर्ज भाव या सेवा भाव के नाम से जाना जाता है। यह वह छठा महत्वपूर्ण भाव है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति, शत्रुओं पर विजय, कर्ज मुक्ति, नौकरी, सेवा कार्य, सहकर्मी संबंध और दैनिक संघर्षों को पूर्ण रूप से प्रतिबिंबित करता है। छठा भाव कुंडली का स्वास्थ्य और शत्रु नाश का आधारभूत बिंदु है क्योंकि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता, शत्रु पर विजय, ऋण से मुक्ति और सेवा क्षेत्र की सफलता को नियंत्रित करता है। यह भाव व्यक्ति के पेट, आंतें, पाचन तंत्र, अपच ग्रंथि और नौकर वर्ग को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार छठा भाव जीवन के 35 से 42 वर्ष की मध्यावस्था को भी दर्शाता है।

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के 12 भावों में छठा भाव स्वास्थ्य और शत्रु विजय का सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भाव न केवल रोगों से रक्षा और शत्रुओं पर विजय बताता है बल्कि नौकरी सफलता, कर्ज मुक्ति और सेवा भावना को भी प्रकट करता है। छठा भाव का स्वामी ग्रह जिसे रोगेश कहा जाता है वह व्यक्ति के स्वास्थ्य रक्षा, शत्रु नाश और सेवा सफलता को निर्धारित करता है। मजबूत छठा भाव और शक्तिशाली रोगेश व्यक्ति को निरोग, शत्रु विजेता, ऋण मुक्त और सेवा क्षेत्र में सफल बनाते हैं।

ज्योतिष में छठे भाव का महत्व

स्वास्थ्य रक्षा और शत्रु विजय का मूल आधार

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में छठा भाव को स्वास्थ्य रक्षा, शत्रु विजय और सेवा सफलता का मूल आधार माना गया है। यह भाव व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता से लेकर शत्रु नाश तक सभी कुछ दर्शाता है। छठा भाव के कारण ही जातक को निरोग जीवन, शत्रुओं पर पूर्ण विजय, कर्ज मुक्ति और सेवा कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यह भाव मध्यावस्था के स्वास्थ्य संघर्ष, शत्रु पर विजय और सेवा अनुभवों को भी नियंत्रित करता है। छठा भाव की मजबूती ही व्यक्ति को जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।

किसी भी कुंडली के स्वास्थ्य और शत्रु विश्लेषण में छठा भाव का अध्ययन प्रथम स्थान पर होता है। मजबूत और शुभ ग्रहों से युक्त छठा भाव वाले व्यक्ति का जीवन निरोग, शत्रु रहित, ऋण मुक्त और सेवा सफल होता है। ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम, शत्रु परास्त होते हैं और नौकरी में सफलता मिलती है। इसके विपरीत पीड़ित छठा भाव रोग पीड़ा, शत्रु उत्पीड़न, कर्ज संकट और सेवा बाधा का कारण बनता है। रोगेश की स्थिति ही व्यक्ति के स्वास्थ्य और शत्रु विजय का दर्पण है।

छठे भाव की मूल जानकारी

विवरणजानकारी
वैदिक नामरोग भाव / शत्रु भाव / कर्ज भाव
प्राकृतिक स्वामी ग्रहबुध ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव
प्राकृतिक राशिकन्या राशि के व्यक्ति का गुण स्वभाव और personality
नियंत्रित शरीर भागपेट, आंतें, पाचन तंत्र, अपच ग्रंथि
प्रतिनिधित्वस्वास्थ्य, शत्रु, कर्ज, सेवा
जीवन का पहलूमध्यावस्था (35-42 वर्ष)

छठे भाव में ग्रहों का प्रभाव

छठे भाव में सूर्य ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में सूर्य ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

सूर्य छठे भाव में शत्रु पर विजय, सरकारी सेवा देता है। स्वास्थ्य मजबूत।

सकारात्मक प्रभाव:

  • शत्रुओं पर पूर्ण विजय

  • सरकारी नौकरी सफलता

नकारात्मक प्रभाव:

  • पाचन संबंधी चिंता

छठे भाव में चंद्रमा ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

चंद्रमा छठे भाव में मानसिक सेवा कार्य देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • चिकित्सा सेवा सफलता

  • सहानुभूतिपूर्ण सहकर्मी

नकारात्मक प्रभाव:

  • मानसिक तनाव

छठे भाव में मंगल ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में मंगल ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

मंगल छठे भाव में शत्रु नाश का कारक है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • शत्रुओं का पूर्ण नाश

  • सेना/पुलिस सफलता

नकारात्मक प्रभाव:

  • पाचन रोग

छठे भाव में बुध ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में बुध ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बुध छठे भाव में बौद्धिक सेवा देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • लेखा, विश्लेषण कार्य सफलता

  • चतुराई से शत्रु विजय

नकारात्मक प्रभाव:

  • तंत्रिका तनाव

छठे भाव में बृहस्पति ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में गुरु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बृहस्पति छठे भाव में धार्मिक सेवा देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • आध्यात्मिक चिकित्सा सफलता

  • न्यायपूर्ण शत्रु विजय

नकारात्मक प्रभाव:

  • अत्यधिक उदारता

छठे भाव में शुक्र ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में शुक्र ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शुक्र छठे भाव में सौंदर्य सेवा देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • कला चिकित्सा सफलता

नकारात्मक प्रभाव:

  • शत्रु के प्रति कमजोरी

छठे भाव में शनि ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में शनि ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शनि छठे भाव में दीर्घकालिक विजय देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • कठोर परिश्रम से शत्रु नाश

  • स्थायी सेवा सफलता

नकारात्मक प्रभाव:

  • पुरानी रोग

छठे भाव में राहु ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में राहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

राहु छठे भाव में अप्रत्याशित विजय देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • गुप्त शत्रु नाश

नकारात्मक प्रभाव:

  • अप्रत्याशित रोग

छठे भाव में केतु ग्रह

आपकी कुंडली के छठे भाव में केतु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

केतु छठे भाव में आध्यात्मिक विजय देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • शत्रुओं से वैराग्य

नकारात्मक प्रभाव:

  • सेवा से अलगाव

महत्वपूर्ण फलादेश

मजबूत छठा भाव: निरोग, शत्रु विजेता, सेवा सफल

कमजोर छठा भाव: रोग पीड़ा, शत्रु उत्पीड़न, कर्ज संकट

अंकज्योतिष में छठा भाव

अंकज्योतिष में संख्या 6 छठे भाव से संबंधित है। सेवा और जिम्मेदारी का प्रतीक।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: छठे भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है?

छठे भाव का प्राकृतिक स्वामी बुध है (कन्या राशि)।

प्रश्न 2: छठे भाव में कौन से ग्रह शुभ माने जाते हैं?

मंगल, शनि, राहु और केतु छठे भाव में शुभ फल देते हैं।

प्रश्न 3: कमजोर रोग भाव को कैसे मजबूत करें?

बुध मंत्र जप, बुधवार व्रत और हरा रंग धारण करें।

प्रश्न 4: छठा भाव कौन से शरीर के भाग नियंत्रित करता है?

पेट, आंतें, पाचन तंत्र और अपच ग्रंथि।

प्रश्न 5: रोगेश की महत्वता क्या है?

रोगेश स्वास्थ्य रक्षा और शत्रु नाश का कारक है।

प्रश्न 6: छठा भाव कब देखा जाता है?

स्वास्थ्य और शत्रु विश्लेषण में छठा भाव प्रथम देखा जाता है।

प्रश्न 7: क्या छठे भाव से नौकरी योग पता चलता है?

हां, छठे भाव के ग्रह सेवा और नौकरी योग बताते हैं।

प्रश्न 8: छठा भाव का समय काल क्या है?

छठा भाव मध्यावस्था (35-42 वर्ष) को दर्शाता है।

निष्कर्ष

कुंडली का छठा भाव वैदिक ज्योतिष में स्वास्थ्य रक्षा और शत्रु विजय का मूल आधार है। मजबूत छठा भाव निरोग जीवन और शत्रु नाश का संकेतक है। रोगेश का विश्लेषण स्वास्थ्य योगों के लिए आवश्यक है।

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