Home Astrologer Registration Job Blog Horoscope Calculator Pathsala Referral
Skip to Content

कुंडली का चौथा भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी

कुंडली का चौथा भाव (Fourth House) व्यक्ति के माता, घर, संपत्ति, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख का मूल आधार है।
23 December 2025 by
कुंडली का चौथा भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
Skill Astro

Kundli ka Chautha Bhav (Fourth House / Sukh Bhav) – Vaidik Jyotish mein Mahatva, Prabhav aur Sampoorna Jankari

प्रस्तावना

कुंडली का चौथा भाव (Fourth House) व्यक्ति के माता, घर, संपत्ति, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख का मूल आधार है। यह भाव जन्म के समय पूर्वी क्षितिज से चौथी राशि पर स्थित होता है और इसे माता भाव, सुख भाव या बंधु भाव के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में चौथा भाव मातृ स्नेह, आवास सुख, भूमि-भवन, वाहन सुख और अंतर्मन की शांति का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यही वह भाव है जो व्यक्ति के मां के साथ संबंध, घरेलू सुख, अचल संपत्ति और मानसिक संतुष्टि को निर्धारित करता है। चौथा भाव व्यक्ति के हृदय, छाती, फेफड़े और माता के स्वास्थ्य को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस अत्यंत विस्तृत और गहन लेख में हम चौथे भाव के हर पहलू, सभी 9 ग्रहों के प्रभाव, शुभ-अशुभ योगों, उपायों और सम्पूर्ण फलादेश पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

चौथा भाव का परिचय

कुंडली में चौथा भाव को माता भाव, सुख भाव, बंधु भाव या गृह भाव के नाम से जाना जाता है। यह वह चौथा महत्वपूर्ण भाव है जो व्यक्ति के माता के साथ संबंध, घरेलू सुख, अचल संपत्ति, वाहन, मानसिक शांति, मातृभाषा और पारिवारिक वातावरण को पूर्ण रूप से प्रतिबिंबित करता है। चौथा भाव कुंडली का घर और सुख का आधारभूत बिंदु है क्योंकि यह आवास स्थिरता, भूमि स्वामित्व, वाहन सुख और अंतर्मन की शांति को नियंत्रित करता है। यह भाव व्यक्ति के हृदय, छाती, फेफड़े, स्तन ग्रंथि और माता के स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चौथा भाव जीवन के 21 से 28 वर्ष की युवावस्था को भी दर्शाता है।

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के 12 भावों में चौथा भाव मातृ सुख और गृहस्थ जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भाव न केवल माता का स्नेह और घरेलू सुख बताता है बल्कि भूमि-भवन, वाहन, मानसिक शांति और पारिवारिक स्थिरता को भी प्रकट करता है। चौथा भाव का स्वामी ग्रह जिसे सुखेश कहा जाता है वह व्यक्ति के गृहस्थ सुख, मातृ संबंध और संपत्ति को निर्धारित करता है। मजबूत चौथा भाव और शक्तिशाली सुखेश व्यक्ति को माता का स्नेह, भव्य घर, वाहन सुख और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

ज्योतिष में चौथे भाव का महत्व

मातृ स्नेह और गृहस्थ सुख का मूल आधार

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में चौथा भाव को मातृ स्नेह, गृहस्थ सुख और मानसिक शांति का मूल आधार माना गया है। यह भाव व्यक्ति के घरेलू वातावरण से लेकर अंतर्मन की शांति तक सभी कुछ दर्शाता है। चौथा भाव के कारण ही जातक को माता का अपार स्नेह, स्थायी घर, अचल संपत्ति, वाहन सुख और मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है। यह भाव युवावस्था के पारिवारिक अनुभव, माता के स्वास्थ्य और गृहस्थ जीवन की स्थिरता को भी नियंत्रित करता है। चौथा भाव की मजबूती ही व्यक्ति को पारिवारिक संकटों से बचाती है।

किसी भी कुंडली के गृहस्थ और संपत्ति विश्लेषण में चौथा भाव का अध्ययन प्रथम स्थान पर होता है। मजबूत और शुभ ग्रहों से युक्त चौथा भाव वाले व्यक्ति का जीवन माता स्नेहपूर्ण, घरेलू सुखी और संपत्ति सम्पन्न होता है। ऐसे व्यक्ति का घर भव्य, वाहन सुंदर, मानसिक शांति गहन और माता का स्वास्थ्य उत्तम होता है। इसके विपरीत पीड़ित चौथा भाव माता से दूरी, घरेलू अशांति, संपत्ति हानि और मानसिक विक्षोभ का कारण बनता है। सुखेश की स्थिति ही व्यक्ति के गृहस्थ भाग्य का दर्पण है।

चौथे भाव की मूल जानकारी

विवरणजानकारी
वैदिक नाममाता भाव / सुख भाव / गृह भाव
प्राकृतिक स्वामी ग्रहचंद्रमा वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव
प्राकृतिक राशिकर्क राशि के व्यक्ति का गुण स्वभाव और personality
नियंत्रित शरीर भागहृदय, छाती, फेफड़े, स्तन ग्रंथि
प्रतिनिधित्वमाता, घर, संपत्ति, मानसिक शांति
जीवन का पहलूयुवावस्था (21-28 वर्ष)

चौथे भाव में ग्रहों का प्रभाव

चौथे भाव में सूर्य ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में सूर्य ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

सूर्य चौथे भाव में प्रतिष्ठित घर, सरकारी संपत्ति देता है। माता प्रभावशाली होती है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • सरकारी भवन-भूमि

  • माता का सम्मान

नकारात्मक प्रभाव:

  • माता से दूरी

  • हृदय रोग

चौथे भाव में चंद्रमा ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

चंद्रमा चौथे भाव में महान मातृ स्नेह, भव्य घर देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • अपार माता प्रेम

  • सुंदर घर-वाहन

नकारात्मक प्रभाव:

  • मानसिक अस्थिरता

चौथे भाव में मंगल ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में मंगल ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

मंगल चौथे भाव में भूमि संपत्ति देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • कृषि भूमि लाभ

  • मजबूत घर

नकारात्मक प्रभाव:

  • माता से विवाद

चौथे भाव में बुध ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में बुध ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बुध चौथे भाव में शिक्षण संस्थान संपत्ति देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • बौद्धिक घर वातावरण

नकारात्मक प्रभाव:

  • अस्थिर घर

चौथे भाव में बृहस्पति ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में गुरु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बृहस्पति चौथे भाव में धार्मिक घर, आध्यात्मिक माता देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • भव्य धार्मिक घर

  • गुणवान माता

नकारात्मक प्रभाव:

  • अत्यधिक खर्च

चौथे भाव में शुक्र ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में शुक्र ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शुक्र चौथे भाव में विलासपूर्ण घर देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • सुंदर सज्जित घर

  • वाहन सुख

नकारात्मक प्रभाव:

  • विलासिता खर्च

चौथे भाव में शनि ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में शनि ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शनि चौथे भाव में स्थिर संपत्ति देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • पुराना मजबूत घर

नकारात्मक प्रभाव:

  • माता दुख

चौथे भाव में राहु ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में राहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

राहु चौथे भाव में विदेशी संपत्ति देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • असामान्य घर

नकारात्मक प्रभाव:

  • घर अशांति

चौथे भाव में केतु ग्रह

आपकी कुंडली के चौथे भाव में केतु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

केतु चौथे भाव में आध्यात्मिक शांति देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • वैराग्य सुख

नकारात्मक प्रभाव:

  • माता से दूरी

महत्वपूर्ण फलादेश

मजबूत चौथा भाव: माता स्नेह, भव्य घर, मानसिक शांति

कमजोर चौथा भाव: माता दुख, घर अशांति, संपत्ति हानि

अंकज्योतिष में चौथा भाव

अंकज्योतिष में संख्या 4 चौथे भाव से संबंधित है। स्थिरता और घर का प्रतीक।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: चौथे भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है?

चौथे भाव का प्राकृतिक स्वामी चंद्रमा है (कर्क राशि)।

प्रश्न 2: चौथे भाव में कौन से ग्रह शुभ माने जाते हैं?

चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र चौथे भाव में शुभ फल देते हैं।

प्रश्न 3: कमजोर सुख भाव को कैसे मजबूत करें?

चंद्र मंत्र जप, सोमवार व्रत और सफेद वस्त्र धारण करें।

प्रश्न 4: चौथा भाव कौन से शरीर के भाग नियंत्रित करता है?

हृदय, छाती, फेफड़े और स्तन ग्रंथि।

प्रश्न 5: सुखेश की महत्वता क्या है?

सुखेश माता स्नेह और गृहस्थ सुख का कारक है।

प्रश्न 6: चौथा भाव कब देखा जाता है?

गृहस्थ और संपत्ति विश्लेषण में चौथा भाव प्रथम देखा जाता है।

प्रश्न 7: क्या चौथे भाव से घर का स्वरूप पता चलता है?

हां, चौथे भाव के ग्रह घर के प्रकार और सुख बताते हैं।

प्रश्न 8: चौथा भाव का समय काल क्या है?

चौथा भाव युवावस्था (21-28 वर्ष) को दर्शाता है।

निष्कर्ष

कुंडली का चौथा भाव वैदिक ज्योतिष में माता स्नेह और गृहस्थ सुख का मूल आधार है। मजबूत चौथा भाव पारिवारिक सुख और संपत्ति समृद्धि का संकेतक है। सुखेश का विश्लेषण गृहस्थ योगों के लिए आवश्यक है।

READ IN ENGLISH
कुंडली का चौथा भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
Skill Astro 23 December 2025
Sign in to leave a comment