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कुंडली का सातवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी

कुंडली का सातवां भाव (Seventh House) व्यक्ति के विवाह, जीवनसाथी, वैवाहिक सुख और साझेदारी का मूल आधार है।
23 December 2025 by
कुंडली का सातवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
Skill Astro

कुंडली का सातवां भाव

प्रस्तावना

कुंडली का सातवां भाव (Seventh House) व्यक्ति के विवाह, जीवनसाथी, वैवाहिक सुख और साझेदारी का मूल आधार है। यह भाव जन्म के समय पूर्वी क्षितिज से सातवीं राशि पर स्थित होता है और इसे विवाह भाव, दाम्पत्य भाव या कलत्र भाव के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में सातवां भाव जीवनसाथी का स्वरूप, विवाह का समय, वैवाहिक सुख-दुख और व्यापारिक साझेदारी का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यही वह भाव है जो व्यक्ति के पति/पत्नी के गुण, विवाह योग, दांपत्य जीवन की गुणवत्ता और साझेदारी सफलता को निर्धारित करता है। सातवां भाव व्यक्ति के गुर्दे, कमर का निचला भाग, लिंग और जीवनसाथी के स्वास्थ्य को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस अत्यंत विस्तृत और गहन लेख में हम सातवें भाव के हर पहलू, सभी 9 ग्रहों के प्रभाव, शुभ-अशुभ योगों, उपायों और सम्पूर्ण फलादेश पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

सातवां भाव का परिचय

कुंडली में सातवां भाव को विवाह भाव, दाम्पत्य भाव, कलत्र भाव या भागीदार भाव के नाम से जाना जाता है। यह वह सातवां महत्वपूर्ण भाव है जो व्यक्ति के जीवनसाथी के गुण-दोष, विवाह का समय, वैवाहिक सुख, प्रेम संबंध, व्यापारिक साझेदारी और सामाजिक संबंध को पूर्ण रूप से प्रतिबिंबित करता है। सातवां भाव कुंडली का विवाह और साझेदारी का आधारभूत बिंदु है क्योंकि यह जीवनसाथी चयन, दांपत्य जीवन की सफलता, प्रेम प्रसंग और व्यावसायिक भागीदारी को नियंत्रित करता है। यह भाव व्यक्ति के गुर्दे, कमर का निचला भाग, लिंग अंग, मूत्र तंत्र और जीवनसाथी के स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सातवां भाव जीवन के 42 से 49 वर्ष की परिपक्वावस्था को भी दर्शाता है।

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के 12 भावों में सातवां भाव विवाह और दांपत्य सुख का सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भाव न केवल जीवनसाथी का स्वरूप और गुण बताता है बल्कि विवाह योग, वैवाहिक सुख, प्रेम जीवन और साझेदारी सफलता को भी प्रकट करता है। सातवां भाव का स्वामी ग्रह जिसे कलत्रेश कहा जाता है वह व्यक्ति के विवाह भाग्य, जीवनसाथी गुण और दांपत्य सुख को निर्धारित करता है। मजबूत सातवां भाव और शक्तिशाली कलत्रेश व्यक्ति को सुखी विवाह, गुणवान जीवनसाथी और सफल साझेदारी प्रदान करते हैं।

ज्योतिष में सातवें भाव का महत्व

विवाह सुख और साझेदारी का मूल आधार

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सातवां भाव को विवाह सुख, दांपत्य जीवन और साझेदारी सफलता का मूल आधार माना गया है। यह भाव व्यक्ति के जीवनसाथी चयन से लेकर वैवाहिक जीवन तक सभी कुछ दर्शाता है। सातवां भाव के कारण ही जातक को गुणवान जीवनसाथी, सुखी विवाह, प्रेमपूर्ण दांपत्य और सफल व्यापारिक साझेदारी प्राप्त होती है। यह भाव परिपक्वावस्था के वैवाहिक अनुभव, जीवनसाथी स्वास्थ्य और साझेदारी संबंधों को भी नियंत्रित करता है। सातवां भाव की मजबूती ही व्यक्ति को वैवाहिक संकटों से बचाती है।

किसी भी कुंडली के विवाह विश्लेषण में सातवां भाव का अध्ययन प्रथम स्थान पर होता है। मजबूत और शुभ ग्रहों से युक्त सातवां भाव वाले व्यक्ति का जीवन विवाह सुखी, जीवनसाथी गुणवान और साझेदारी सफल होता है। ऐसे व्यक्ति का विवाह समय पर, जीवनसाथी सुंदर-बुद्धिमान और दांपत्य जीवन आनंदपूर्ण होता है। इसके विपरीत पीड़ित सातवां भाव विवाह विलंब, जीवनसाथी से कलह, तलाक योग और साझेदारी हानि का कारण बनता है। कलत्रेश की स्थिति ही व्यक्ति के विवाह भाग्य का दर्पण है।

सातवें भाव की मूल जानकारी

विवरणजानकारी
वैदिक नामविवाह भाव / दाम्पत्य भाव / कलत्र भाव
प्राकृतिक स्वामी ग्रहशुक्र ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव
प्राकृतिक राशितुला राशि के व्यक्ति का गुण स्वभाव और personality
नियंत्रित शरीर भागगुर्दे, कमर निचला भाग, लिंग अंग, मूत्र तंत्र
प्रतिनिधित्वविवाह, जीवनसाथी, साझेदारी
जीवन का पहलूपरिपक्वावस्था (42-49 वर्ष)

सातवें भाव में ग्रहों का प्रभाव

सातवें भाव में सूर्य ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में सूर्य ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

सूर्य सातवें भाव में प्रभावशाली जीवनसाथी देता है। विवाह में अहंकार।

सकारात्मक प्रभाव:

  • उच्च पदस्थ जीवनसाथी

  • वैवाहिक प्रतिष्ठा

नकारात्मक प्रभाव:

  • अहंकारपूर्ण विवाह

  • गुर्दे रोग

सातवें भाव में चंद्रमा ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में चंद्रमा वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

चंद्रमा सातवें भाव में प्रेमपूर्ण जीवनसाथी देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • भावुक दांपत्य सुख

  • सुंदर जीवनसाथी

नकारात्मक प्रभाव:

  • भावनात्मक उतार-चढ़ाव

सातवें भाव में मंगल ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में मंगल ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

मंगल सातवें भाव में मांगलिक दोष उत्पन्न करता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • साहसी जीवनसाथी

नकारात्मक प्रभाव:

  • वैवाहिक कलह, तलाक योग

सातवें भाव में बुध ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में बुध ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बुध सातवें भाव में बुद्धिमान जीवनसाथी देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • वैचारिक वैवाहिक सामंजस्य

नकारात्मक प्रभाव:

  • संवाद विवाद

सातवें भाव में बृहस्पति ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में गुरु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

बृहस्पति सातवें भाव में सर्वोत्तम विवाह योग देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • गुणवान, धार्मिक जीवनसाथी

  • सुखी दांपत्य जीवन

नकारात्मक प्रभाव:

  • अत्यधिक आदर्शवाद

सातवें भाव में शुक्र ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में शुक्र ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शुक्र सातवें भाव में सर्वश्रेष्ठ विवाह देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • अति सुंदर, प्रेमपूर्ण जीवनसाथी

  • रोमांटिक दांपत्य सुख

नकारात्मक प्रभाव:

  • विलासिता प्रवृत्ति

सातवें भाव में शनि ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में शनि ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

शनि सातवें भाव में विवाह विलंब देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • दीर्घस्थायी विवाह

नकारात्मक प्रभाव:

  • वृद्धावस्था जीवनसाथी

सातवें भाव में राहु ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में राहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

राहु सातवें भाव में विदेशी/असामान्य विवाह देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • अप्रत्याशित विवाह सफलता

नकारात्मक प्रभाव:

  • वैवाहिक भ्रम

सातवें भाव में केतु ग्रह

आपकी कुंडली के सातवें भाव में केतु ग्रह वैदिक ज्योतिष में महत्व प्रभाव की स्थिति:

केतु सातवें भाव में आध्यात्मिक विवाह देता है।

सकारात्मक प्रभाव:

  • गूढ़ जीवनसाथी

नकारात्मक प्रभाव:

  • वैवाहिक अलगाव

महत्वपूर्ण फलादेश

मजबूत सातवां भाव: सुखी विवाह, गुणवान जीवनसाथी

कमजोर सातवां भाव: विवाह विलंब, दांपत्य कलह

अंकज्योतिष में सातवां भाव

अंकज्योतिष में संख्या 7 सातवें भाव से संबंधित है। साझेदारी और आध्यात्मिकता का प्रतीक।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: सातवें भाव का स्वामी कौन सा ग्रह है?

सातवें भाव का प्राकृतिक स्वामी शुक्र है (तुला राशि)।

प्रश्न 2: सातवें भाव में कौन से ग्रह शुभ माने जाते हैं?

बृहस्पति और शुक्र सातवें भाव में सर्वोत्तम फल देते हैं।

प्रश्न 3: कमजोर विवाह भाव को कैसे मजबूत करें?

शुक्र मंत्र जप, शुक्रवार व्रत और हीरा धारण करें।

प्रश्न 4: सातवां भाव कौन से शरीर के भाग नियंत्रित करता है?

गुर्दे, कमर निचला भाग और लिंग अंग।

प्रश्न 5: कलत्रेश की महत्वता क्या है?

कलत्रेश विवाह भाग्य और जीवनसाथी गुण का कारक है।

प्रश्न 6: सातवां भाव कब देखा जाता है?

विवाह विश्लेषण में सातवां भाव प्रथम देखा जाता है।

प्रश्न 7: क्या सातवें भाव से जीवनसाथी स्वरूप पता चलता है?

हां, सातवें भाव के ग्रह जीवनसाथी के गुण बताते हैं।

प्रश्न 8: सातवां भाव का समय काल क्या है?

सातवां भाव परिपक्वावस्था (42-49 वर्ष) को दर्शाता है।

निष्कर्ष

कुंडली का सातवां भाव वैदिक ज्योतिष में विवाह सुख और दांपत्य जीवन का मूल आधार है। मजबूत सातवां भाव सुखी विवाह और गुणवान जीवनसाथी का संकेतक है। कलत्रेश का विश्लेषण विवाह योगों के लिए आवश्यक है

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कुंडली का सातवां भाव - वैदिक ज्योतिष में महत्व, प्रभाव और संपूर्ण जानकारी
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