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केदारा गोवरी व्रत 2025: तिथि, पूजा मुहूर्त और लाभ

केदारा गोवरी व्रत दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण उपवास है जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। 2025 में यह व्रत सोमवार, 20 अक्टूबर को दीपावली अमावस्या के साथ पड़ रहा है, जो इसे भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और प्रभावशाली बनाता है।

केदारा गोवरी व्रत 2025 की तिथि और समय

  • तिथि: 20 अक्टूबर 2025 (अमावस्या / दीपावली नवचंद)
  • तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2025, शाम 3:45 बजे
  • तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025, शाम 5:55 बजे
  • पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल): 20 अक्टूबर 2025, शाम 5:40 से 8:00 बजे तक

प्रदोष काल, सूर्यास्त के बाद का समय, केदारा गोवरी व्रत पूजा करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

केदारा गोवरी व्रत का महत्व

यह व्रत तेलुगू में केदारेश्वरो नामू और तमिल में दीपावली नोंबु के नाम से जाना जाता है।

  • "केदारा" का अर्थ संस्कृत में एक पवित्र भूमि या क्षेत्र होता है, जो हिमालय क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जहां भगवान शिव केदारेश्वर के रूप में निवास करते हैं।
  • "गोवरी" देवी पार्वती का एक प्रिय रूप है जो पवित्रता, भक्ति और स्त्री ऊर्जा का प्रतीक है।
    यह व्रत देवी पार्वती की कठोर तपस्या का प्रतीक है, जिससे वे भगवान शिव के साथ एकत्व प्राप्त करती हैं। इस एकत्व को "अर्धनारीश्वर" के रूप में दर्शाया जाता है, जो दिव्य पुरुष और महिला ऊर्जा का संतुलन दर्शाता है।

केदारा गोवरी व्रत कैसे करें?

  1. तैयारी
  • उपवास: भक्त पूजा तक उपवास रखते हैं, कड़ाई से निर्जला या केवल फल और दूध ग्रहण कर सकते हैं।
  • शुद्धि: सुबह जल्दी स्नान करें और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
  • altar सजावट: भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियाँ या चित्र स्थापित करें और कोलम या रंगोली बनाएं।
  1. कलश और संदेह धागा
  • कलश: एक धातु की मुद्रा में जल भरें, आम के पत्ते और हल्दी/कुमकुम लगी नारियल रखें, जो केदारेश्वर और गोवरी का प्रतीक होता है।
  • नोंबु कय ईरु: हल्दी से रंगे 21 धागे बनाएं और उनमें 21 गांठें लगाएं, जिसे कलश के पास पूजा के लिए रखें।
  1. मुख्य पूजा कर्म
  • गणपति पूजा: बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी की पूजा करें।
  • संकल्प: व्रत का उद्देश्य घोषित करें जैसे समृद्धि, वैवाहिक सौहाद्र या आध्यात्मिक उन्नति।
  • निमंत्रण: कलश में भगवान केदारेश्वर और देवी गोवरी उपस्थित करें।
  • भोग-पूजा: बेलपत्र, फूल, सुपारी, चंदन, फल व अन्य 21 तरह के शुद्ध भोग अर्पित करें।
  • मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" और गोवरी के 108 नामों का उच्चारण करें।
  • कथा वाचन: व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  • दीप आरती: पूजा समाप्ति पर दीप जलाएं।
  1. नोंबु धागा बांधना
    पति या एक वयोवृद्ध विवाहित महिला द्वारा भक्त के गले या दाहिने कलाई पर नोंबु धागा बांधा जाता है, जो उनके कल्याण और भगवान की रक्षा का प्रतीक है। पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर उपवास तोड़ा जाता है। अगले दिन सुबह अंतिम प्रार्थना के बाद कलश को विसर्जित किया जाता है।

केदारा गोवरी व्रत के लाभ

  • वैवाहिक समृद्धि: पति की दीर्घायु और सौहार्दपूर्ण वैवाहिक जीवन की प्राप्ति।
  • धन-वृद्धि: आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और व्यापार या नौकरी में लाभ आता है।
  • मनोकामना पूर्णता: पूरी श्रद्धा से व्रत करने पर मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  • उत्तम विवाह: अविवाहित स्त्रियां सौभाग्यशाली जीवन साथी की कामना करें।
  • आध्यात्मिक प्रगति: भक्ति से मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त होता है।

व्रत की दो प्रकार से पालन

  • 21 दिन का परंपरागत व्रत: तमिल माह पुरट्टासी के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से आरंभ होकर अमावस्या को पूर्ण होता है।
  • एक दिवसीय उपवास: दीपावली अमावस्या के दिन एक ही बार संपूर्ण पूजा कर व्रत किया जाता है।

केदारा गोवरी व्रत के नियम—क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:

  • दिनभर शुद्धता का पालन करें।
  • प्याज, लहसुन व अन्य निषिद्ध खाद्य पदार्थ न लें।
  • सुंगमालियों को पूजा में आमंत्रित करें और पारंपरिक सत्कार करें।
  • साफ सुथरे पारंपरिक वस्त्र पहनें।

क्या न करें:

  • तमasic पदार्थ, शराब और अपशब्दों से बचें।
  • पूजा समाप्ति से पहले उपवास न तोड़ें।
  • माहवारी में आने पर व्रत स्वयं न करें, परिवार के किसी अन्य सदस्य से कराएं।

बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. केदारा गोवरी व्रत 2025 कब है?
    व्रत दीपावली अमावस्या के दिन, यानि 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह अमावस्या तिथि में दोपहर के समय से शुरू होकर अगले दिन शाम तक रहता है।
  2. मुख्य पूजा कर्म कौन-कौन से हैं?
    संकल्प लेकर कलश स्थापना, भगवान शिव और देवी गोवरी की अभिषेक, 21 प्रकार के नैवेद्य अर्पण, मंत्रोच्चार, कथा वाचन और अंत में आरती व नोंबु धागा बांधना।
  3. क्या पुरुष भी केदारा गोवरी व्रत कर सकते हैं?
    हां, यह व्रत पुरुष भी कर सकते हैं, खासकर परिवार की भलाई और आध्यात्मिक लाभ के लिए। यह व्रत तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में खासा प्रचलित है।
  4. केदारा गोवरी नोंबु क्या है?
    नोंबु उपवास की एक प्रक्रिया है जिसमें भक्त व्रत के दिन निर्जला उपवास रखते हैं तथा शाम की पूजा के बाद हल्दी से रंगे धागे (नोंबु कयिरु) को कलाई या गले में बांधते हैं।
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Skill Astro 13 अक्तूबर 2025
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